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कच्चातीवू द्वीप का इतिहास

By primekhabari.in

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क्या है कच्चातीवू की कहानी और कांग्रेस का सम्बन्ध

कच्चातीवू द्वीप का मुद्दा फिर एक बार चर्चा में है । इसकी  वजह है RTI आवेदन से निकलकर आयी जानकारी। तमिल नाडु के भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई ने RTI दायर कर कच्चातीवू के बारे में पूछा था। अब RTI ने जवाब दिया है की सन्न 1974 में भारत प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी ने अपने समक्ष श्रीलंकाई राष्ट्रपति भंडारनायके के साथ 1974 में समझौता किया था । इसके तहत कच्चातीवू द्वीप को श्रीko दे दिया गया।

कच्चातीवू भारत और श्रीलंका के बिच एक चोया सा द्वीप है जो बंगाल की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है। 285 एकड़ में फैली जमीं 1974 तक भारत का हिस्सा थी । लेकिन ये श्रीलंका के सतह विवादित चैत्र भी था जिससे श्रीलंका अपना बताता था ।

कच्चातीवू का निर्माण 14 सतबादी के ज्वालामुखी विस्फोट में हुआथा। 1921 में श्रीलंका और भारत दोनों ने इस द्वीप पैर मछली पकड़ना शुरू किया , लेकिन आज़ादी के बाद इसे भारत का हिस्सा माना गया फिर भी विवाद को सुलझाने के लिए 1974 में कांग्रेस के नेता ने इसे श्री लंका को दे दिया

कच्चातीवू का महत्व ?

 

यह द्वीप सामूहिक महत्व का था, इसका इस्तेमाल मछुवारे करते थे। यह मुद्दा तब निकला जब भारत और श्री लंका में में समुंद्री सीमा की बात हुयी समझौते में भारत और श्रीलला की सीमा बनायीं गयी। साल 1973 में 26 जून को कोलम्बो और 28 जून को दिल्ली में दोनों द्वीप के बारे ेमिन बातचीत हुई इन्ही दो बातचीत के बाद द्वीप श्रीलंका को दे दिया गया कुछ सरतो के साथ।

तब यह शर्त राखी गयी की भारत के मछुवारे जाल सूखने के लिए जाल का इस्तेमाल कर सकते हैं और मछुवारो को बिना वीजा भी द्वीप पैर जा सकते हैं। हालाँकि , इस समझौते का भारत के तत्कालीन मुख्यमत्री करुणानिधि ने  कड़ा विरोध किया । 

2009 में श्रीलंका ने कच्चातीवू द्वीप पैर सैन्य सुरक्षा करना शुरू कर दिया। 2010 में LTTE के साथ संघर्ष करके श्रीलंका के मछुयारो ने खाड़ी में आंदोलन शुरू कर दिया और आपने खोए हुए छेत्रो को वापस पा लिया ।

भारत में इस द्वीप को लेकर विवाद

तमिल नाडु की सभी सरकार 1974 से समझौते को मानाने से इंकार करती हैं और श्री लंका से द्वीप को वापस लेने की मांग करती हैं। 1991 में तमिल नाडु विधान सभा दवारा समझौते के खिलाफ लाये जिसके जरिये कच्छद्वीप को वापस  भारत से जूडस जा सके ।

2008 में तमिल नाडु की मुख्यमंत्री केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गयी और समझौते को रद्द करने की बायत कही । श्रीलंका को कच्चातीवू उपहार में देना गलत था इसके बाद फिर जयललिता ने 2011 में फिर विधानसभा से प्रस्ताव पास किया।

मई में तमिल नाडु के मुख्या मंत्री ऍम स्टालिन ने प्रधान मंत्री मोदी मिलने के समारोह में कच्चातीवू की मांग की और कहा भारत को पुनः प्राप्त किया जाना चाहिए उन्होंने  कहा था की  पारम्परिक तमिल मछुयारे से मछली मपकडने का हक़ नहीं दिया जाए , इस मुद्दे पैर करवाई करने का यही सही समय हैं।

 

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