गुरु पूर्णिमा का महत्त्व और इतिहास
गुरु पूर्णिमा का परिचय
गुरु पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण भारतीय त्यौहार है, जो गुरु के प्रति आभार प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मों में विशेष महत्त्व रखता है। गुरु पूर्णिमा का आयोजन हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को किया जाता है।
गुरु पूर्णिमा का इतिहास
गुरु पूर्णिमा का इतिहास बहुत पुराना है। इसका सम्बन्ध महर्षि वेदव्यास से जोड़ा जाता है, जिन्होंने महाभारत, 18 पुराण और वेदों का संकलन किया। इसी कारण इस दिन को ‘व्यास पूर्णिमा’ भी कहा जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरु को सम्मानित करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
गुरु पूर्णिमा का महत्त्व
गुरु पूर्णिमा का महत्त्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है। गुरु शिष्य को ज्ञान, संस्कार और जीवन जीने की कला सिखाते हैं। इस दिन शिष्य अपने गुरु को उनके मार्गदर्शन और शिक्षा के लिए धन्यवाद देते हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा की जाती है और उन्हें भेंट दी जाती है।
गुरु पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है
गुरु पूर्णिमा के दिन लोग मंदिरों में जाकर विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। शिष्य अपने गुरु के चरणों में बैठकर उनकी सेवा करते हैं और उनसे ज्ञान प्राप्त करते हैं। कई स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।
गुरु पूर्णिमा के दिन हमें अपने गुरु के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर मिलता है और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान को जीवन में अपनाने की प्रेरणा मिलती है।