मोदी ने तोड़े खिलजी के सपने
नालंदा विश्वविद्यालय का ऐतिहासिक महत्व
नालंदा विश्वविद्यालय, जिसे प्राचीन समय में ज्ञान का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता था, 12वीं सदी में खिलजी के आक्रमण के दौरान पूरी तरह नष्ट हो गया था। इस विश्वविद्यालय ने दुनियाभर के विद्यार्थियों को आकर्षित किया था और बौद्ध धर्म के अध्ययन और शिक्षा का प्रमुख केंद्र था।
नरेंद्र मोदी का नालंदा के प्रति दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया और उसकी खोई हुई महिमा को दोबारा स्थापित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए। उन्होंने इसे वैश्विक शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसे आधुनिक सुविधाओं और अनुसंधान के साथ जोड़ा जा सके।
नालंदा विश्वविद्यालय का नव निर्माण
नालंदा विश्वविद्यालय का नव निर्माण नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तेजी से हो रहा है। इस परियोजना में आधुनिक शिक्षा प्रणाली, उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षणिक कार्यक्रम और अंतरराष्ट्रीय स्तर की शोध सुविधाएं शामिल हैं। इसका उद्देश्य न केवल प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित करना है, बल्कि इसे एक वैश्विक शिक्षण और अनुसंधान केंद्र के रूप में स्थापित करना भी है।
आधुनिक नालंदा विश्वविद्यालय की विशेषताएं
आधुनिक नालंदा विश्वविद्यालय में अत्याधुनिक उपकरण, डिजिटल लाइब्रेरी, और वैश्विक स्तर के प्रोफेसरों द्वारा शिक्षा प्रदान की जाएगी। इस संस्थान का उद्देश्य है कि यह न केवल भारतीय छात्रों के लिए, बल्कि विश्वभर के छात्रों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बने।
नालंदा विश्वविद्यालय का नव निर्माण वास्तव में खिलजी के सपनों को दोबारा जीवित करना है और इसे एक बार फिर से शिक्षा का मक्का बनाना है। नरेंद्र मोदी के प्रयासों से यह ऐतिहासिक स्थल अपनी पुरानी महिमा को पुनः प्राप्त कर रहा है और भविष्य में विश्वभर में शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा।